Chinu Kala: घर से भागीं केवल 300 रुपये लेकर, अब है 7.5 करोड़ के बिजनेस की मालिकन
Chinu Kala: उर्दू एवं फारसी के कवि मुहम्मद इकबाल के शब्द “खुखुद को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है” निसंदेह किसी भी स्थिति में जोश का संचार करने वाले शब्द हैं। लेकिन यह पंक्तियां कुछ ही लोगों पर सटीक बैठती हैं। खासकर तो यह उन लोगों पर ही फिट बैठती हैं जो धारा के विपरीत जाने का माद्दा रखते हैं और सफल होते हैं। ऐसा ही कुछ माद्दा चीनू काला में है जो 15 साल की उम्र में पारिवारिक तनाव के कारण घर छोड़ने पर मजबूर हो गई थीं। मुंबई की रहने वाली चीनू के पास घर छोड़ने के बाद कहीं भी जाने का ठिकाना नहीं था और इस कारण वह अगले ही पल सड़क पर आ गई थीं। इस स्थिति में किसी की भी हिम्मत जवाब दे सकती है लेकिन चीनू ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। जबकि उसके पास उस समय जेब में केवल 300 रुपये थे। आज हम इसी चीनू के बारे में जानेंगे कि कैसे उन्होंने केवल 300 रुपये के साथ घर छोड़ने के बाद 7.5 करोड़ के बिजनेस की मालिकन बन गई।
20 रुपये किराये पर गद्दा लेकर सोती थी
चीनू का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था जहां खाने का ठिकाना नहीं था और आगे कोई उज्ज्वलभविष्य की किरण भी नजर नहीं आ रही थी। साथ ही घर में लोगों के आपसी झगड़ों ने चीनू को अंदर से पूरी तरह झकझोर दिया था। तब चीनू ने सोचा कि गरीबी यहां भी और गरीबी बाहर भी। ऐसे में इस गरीबी को छोड़कर नई गरीबी को ट्राय किया जाए। शायद वहां कुछ हो जाए। क्योंकि घर में रहकर तो उनको कोई अपनी जिंदगी का भविष्य नहीं दिख रहा था। इसलिए उन्होंने घर छोड़ने का फैसला किया और अगले ही पल वे घर से कुछ कपड़ों और एक जोड़ी चप्पल में निकल गईं। उस समय उनके पास केवल 300 रुपये थे। चीनू के पास कहीं जाने का ठिकाना नहीं था। इसलिए उन्होंने एक ऐसी जगह रात में सोने के लिए खोजी जहां 20 रुपये में किराये पर गद्दा लेकर सोने की जगह मिल जाती थी।
सेल्सगर्ल की नौकरी से शुरुआत की
रात को सोने के लिए जगह ढूंढने के बाद चीनू ने नौकरी ढूंढनी शुरू की। कुछ दिनों की मेहनत के बाद चीनू को सेल्सगर्ल की नौकरी मिली। इन नौकरी में उसे घर-घर जाकर व अन्य कटलरी बेचने होते थे। सेल्सगर्ल की इस नौकरी से उन्हें हर दिन 20 से 60 रुपये मिलते थे। ये काम चीनू के लिए काफी मुश्किल था क्योंकि लोग चीनू को देखते ही दरवाजा बंद कर देते थे। अब भी अधिकतर घरों में सेल्सपर्सन के साथ ऐसा ही व्यवहार किया जाता है। मुंह पर बंद होते दरवाजे और लोगों की हेय दृष्टि ने चीनू को और अधिक मजबूत बन दिया।
एक साल में ही बन गई सुपरवाइजर
चीनू के पास कहीं और जाने का ठिकाना नहीं था इसलिए यह जॉब ही चीनू के लिए सबकुछ था। इस जॉब में चीनू ने अपनी जान लगा दी और इसी का नतीजा रहा कि चीनू को एक साल बाद ही महज 16 साल की उम्र में प्रमोट कर सुपवाइजर बना दिया गया। अब इस समय चीनू के सुपरवाइजिंग में तीन लड़कियों को ट्रेनिंग दी जाने लगीं। अब उन्हें पहले से ज्यादा पैसे मिलने लगे।
वर्तमान में चीनू की उम्र 37 वर्ष से अधिक है और वह एक सफल बिजनेसवूमेन है। चीनू हमेशा से बिजनेस करना चाहती थी लेकिन आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी और उस समय उनके लिए सफलता का मतलब दो वक्त का खाना जुटाना ही था। अब जैसा की हम जान चुके हैं चीनू ने 15 साल की उम्र में ही घर छोड़ दिया था। जिसकी वजह से चीनू के पास कोई भी एजुकेशनल डिग्री नहीं थी।
फिर किया वेट्रेस का काम
सेल्सगर्ल का काम करने के बाद उन्होंने एक रेस्टोरेंट में बतौर वेटर भी काम किया और अगले तीन सालों में उन्होंने खुद को आर्थिक रूप से स्थिर कर लिया। उन्होंने 2004 में अमित कला से शादी की। यह उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा मोड़ था और उनके पति उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा सहारा बने। अब चीनू के पास फैमिली थी और थोड़े पैसे थे। जिंदगी में प्यार और खुशी थी जिसके लिए चीनू बचपने से तरसी थी।
मिसेज इंडिया में भाग लिया
इसके दो साल बाद चीनू ने अपने दोस्तों के बहुत कहने पर Gladrags मिसेज इंडिया पेजेंट में भाग लिया। इस प्रतियोगिता में शामिल हुए अन्य कैंडीडेट चीनू की तुलना में वेल एजुकेटेड और फाइनेंशियल काफी अच्छे थे। चीनू तो पूरी तरह से शिक्षित भी नहीं थी। लेकिन फिर भी उन्होंने अपने आत्मविश्वास में कोई कमी नहीं आने दी और प्रतियोगिता में आगे बढ़ी। इसी प्रतियोगिता के साथ उनके लिए कई अवसरों के दरवाजें खुल चुके थे।
अब चीनू फैशन जगत में एक मॉडल बन चुकी थी। इस दौरान उन्होंने फैशन इंडस्ट्री में फैशन ज्वेलरी के मॉडलिंग के बीच फासले को अनुभव किया। अर्थात लोगों के पास महंगे ज्वैलरी को सस्ते दामों में खरीदने के ऑप्शन के बारे में मालूम नहीं था और इसकी कहीं मॉडलिंग भी नहीं की जा रही थी और इसी फासले को कम करने के लिए चीनू ने अपनी सारी सेविंग्स लगाकर ‘रुबंस’ की शुरुआत की।
2014 में शुरू हुई रुबंस कंपनी
साल 2014 में रुबंस कंपनी की नींव पड़ी। यहां एथनिक और वेस्टर्न हर तरह की ज्वेलरी मिलती है जिनकी कीमत 229 से 10,000 रुपयों के बीच है। इस बिजनेस को बेंगलुरु से स्टार्ट किया गया था और अब इसका का विस्तार कोच्चि और हैदराबाद तक हो चुका है। शुरुआती उतार-चढ़ाव के बाद चीनू के बिजनेस ने अपने ग्राहकों के बीच अपनी पैठ बना ली। 2018 में इनकी कंपनी का रेवेन्यू कुल 7.5 करोड़ रुपये रहा। इनकी कंपनी में 25 लोग काम करते हैं और ये उनकी सफलता के बारे में बहुत हद तक बयां कर देता है।
यह चीनू की जिद ही थी जिसके कारण आज वह करोड़ों की मालकिन है और दूसरों को जॉब दे रही हैं। जबकि एक वक्त ऐसा था जब उनके पास सोने के लिए भी जगह नहीं थी और खाने के लिए पैसे नहीं थे।