वित्तीय सलाहकार सुनील डोगरा के अनुसार, किसी भी बीमा पॉलिसी को खरीदने से पहले निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी है:
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1. बीमा की आवश्यकता और उद्देश्य को समझें:
सबसे पहले यह तय करें कि आपको किस प्रकार की बीमा पॉलिसी की आवश्यकता है – जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा, वाहन बीमा या कोई अन्य।
पॉलिसी आपकी आर्थिक स्थिति और भविष्य की जरूरतों के हिसाब से होनी चाहिए।
टर्म इंश्योरेंस जैसे प्लान को प्राथमिकता दें, जो कम प्रीमियम में उच्च कवरेज प्रदान करते हैं।
2. बीमा कंपनी की विश्वसनीयता और ग्राहक सेवा:
बीमा कंपनी की साख और उसके क्लेम सेटलमेंट रेश्यो को जांचें।
IRDAI (Insurance Regulatory and Development Authority of India) द्वारा मान्यता प्राप्त कंपनी से ही बीमा पॉलिसी खरीदें।
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स या फीडबैक पोर्टल पर कंपनी के ग्राहक समीक्षा और सेवाओं का आकलन करें।
3. पॉलिसी के दस्तावेज़ों को ध्यान से पढ़ें:
प्रीमियम की राशि, भुगतान अवधि, बीमा राशि, और पॉलिसी की अवधि का ठीक से विश्लेषण करें।
पॉलिसी में शामिल और बाहर किए गए कवरेज (Inclusions & Exclusions) को ठीक से समझें।
छोटी-छोटी शर्तों (terms & conditions) पर ध्यान दें, ताकि किसी असुविधा से बचा जा सके।
4. एजेंट पर पूरी तरह निर्भर न रहें:
एजेंट या ब्रोकर द्वारा बताए गए लाभों को खुद से जांचें।
कई बार एजेंट बिक्री बढ़ाने के लिए गलत जानकारी दे सकते हैं। इसलिए पॉलिसी का ब्रोशर और फाइन प्रिंट पढ़ना जरूरी है।
अपनी जरूरत के अनुसार तुलना करके सही पॉलिसी चुनें।
5. पॉलिसी की नवीनीकरण शर्तें और प्रीमियम छूट:
पॉलिसी की नवीनीकरण अवधि (Renewal Terms) और प्रीमियम में संभावित बदलाव की शर्तें समझें।
देखिए कि क्या पॉलिसी में किसी साल बाद प्रीमियम पर छूट का प्रावधान है या नहीं।
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अगर बीमा कंपनी क्लेम देने में आनाकानी करे तो क्या करें?
1. बीमा कंपनी से औपचारिक संवाद करें:
लिखित रूप में शिकायत दर्ज करें और पॉलिसी नंबर तथा क्लेम की पूरी जानकारी संलग्न करें।
कंपनी के कस्टमर सर्विस से बात करें और उनके ग्रेवांस सेल से संपर्क करें।
2. ग्राहक शिकायत पोर्टल IRDAI का उपयोग करें:
यदि बीमा कंपनी से समाधान नहीं मिलता है, तो IRDAI के ग्रेवांस पोर्टल (IGMS) में शिकायत दर्ज करें:
https://igms.irda.gov.in
IRDAI ग्राहक हितों की रक्षा करता है और शिकायतों को तेजी से निपटाने का प्रयास करता है।
3. बीमा लोकपाल से संपर्क करें:
अगर क्लेम विवाद का समाधान नहीं हो पाता है, तो बीमा लोकपाल (Insurance Ombudsman) के पास केस फाइल कर सकते हैं। यह लोकपाल बीमा धारकों की शिकायतों का निःशुल्क निपटान करता है।
4. विधिक कार्रवाई का विकल्प:
यदि बीमा लोकपाल से भी संतोषजनक समाधान नहीं मिलता है, तो उपभोक्ता अदालत (Consumer Court) में केस दर्ज कर सकते हैं।
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निष्कर्ष:
सुनील डोगरा का कहना है कि सही पॉलिसी का चुनाव तभी संभव है जब आप अपनी ज़रूरतों को अच्छी तरह समझें और पॉलिसी की शर्तों का सावधानीपूर्वक अध्ययन करें। किसी भी समस्या की स्थिति में उपभोक्ता के पास बीमा लोकपाल और IRDAI जैसे अधिकारिक मंच मौजूद हैं, जिनका उपयोग कर समाधान प्राप्त किया जा सकता है।
सतर्क रहें, सही जानकारी के आधार पर निर्णय लें, और अपनी पॉलिसी की पूरी जानकारी हमेशा अपने पास रखें।